ब्लॉग11 months ago
कोरोना की ग़लतियाँ तब क्यों न गिनाएँ जब हो रही हैं?
मैं ‘राष्ट्रद्रोही-लिबरल-सेक्यूलर’ मौजूदा दौर में क्या करूँ? पत्रकारिता का धर्म कैसे निभाऊँ? कैसे कहूँ कि “हुज़ूर, वज़ीर-ए-आज़म आपने ‘जनता कर्फ़्यू’ और ‘टोटल लॉकडाउन’ का फ़ैसला लेने...