दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर के महिला पत्रकार प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि के मामले में फ़ैसला सुनाते हुए प्रिया रमानी को बरी कर दिया है.
एडिशनल चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे दोनों पक्षों की मौजूदगी में एक ओपन कोर्ट में यह फ़ैसला सुनाया.
अदालत ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा यौन शोषण आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को ख़त्म कर देता है.
अदालत ने कहा, ‘किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा किसी के सम्मान की क़ीमत पर नहीं की जा सकती है.’
अदालत ने कहा है कि महिलाओं के पास दशकों बाद भी अपनी शिकायत रखने का अधिकार है.
अदालत ने अपने फ़ैसले में ये भी कहा है कि सामाजिक प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति भी यौन शोषण कर सकता है.
जज रविंद्र कुमार पांडे ने कहा, ‘…समाज को समझना ही होगा कि यौन शोषण और उत्पीड़न का पीड़ित पर क्या असर होता है.’
10 फ़रवरी को दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने फ़ैसला 17 फ़रवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था.
अदालत ने प्रभावित पक्षों से कहा है कि इस मामले में अपील दायर की जा सकती है.