भारत में डेनिम से बने ट्राउजर्स डूंगा के नाविक पहनते थे। जिन्हें डूंगरीज के नाम से जाना जाता था। वहीं, फ्रांस में गेनोइज नेवी के वर्कर जीन्स को बतौर यूनिफॉर्म पहनते थे। उनके लिए जीन्स का फैब्रिक उनके काम के मुताबिक परफेक्ट होता था।
जीन्स को ब्लू कलर में रंगने के लिए इंडिगो डाई का इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि 16 वीं शताब्दी में जीन्स के चलन ने ज्यादा जोर पकड़ लिया, लेकिन बाकी देशों तक अपनी पहुंच बनाने में इसे काफी समय लगा।
1850 तक जीन्स काफी पॉप्युलर हो चुकी थी। इस दौरान एक जर्मन व्यापारी लेवी स्ट्रॉस ने कैलिफोर्निया में जीन्स पर अपना नाम छापकर बेचना शुरू किया। वहां एक टेलर जेकब डेविस उसका सबसे पहला कस्टमर बना। वह काफी दिन तक उससे जीन्स खरीदता रहा और उसने भी उन्हें लोगों को बेचना शुरू कर दिया। वहां कोयले की खान में काम करने वाले मजदूर इसे ज्यादा खरीदते, क्योंकि इसका कपड़ा बाकी फैब्रिक से थोड़ा मोटा था, जो उनके लिए काफी आरामदायक था।
एक दिन डेविस ने स्ट्रॉस से कहा कि क्यों न हम दोनों मिलकर इसका एक बड़ा बिजनेस शुरू कर दें। स्ट्रॉस को डेविस का प्रपोजल अच्छा लगा और इस तरह उन्होंने जीन्स के लिए यूएस पेटेंट ले लिया और फिर जीन्स का उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू किया।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका की फैक्टिरियों में काम करने वाले वर्कर्स इसे पहना करते थे। और तो और यह उनकी यूनिफॉर्म में शामिल कर दी गई थी। पुरुषों के लिए बनी जीन्स में जिप फ्रंट में नीचे की तरफ लगाई जाती थी, वहीं महिलाओं के लिए बनी जीन्स में इसे साइड में लगाया जाता था। स्पेन और चीन में वहां के कॉउबॉय वर्कर्स जीन्स कैरी किया करते थे। वक्त के साथ जीन्स में नए-नए चेंज आने लगे।
फैशन में किस तरह आई जीन्स
दरअसल, 1950 में जेम्स डीन ने एक हॉलिवुड फिल्म ‘रेबल विदाउट अ कॉज’ बनाई, जिसमें उन्होंने पहली बार जीन्स को बतौर फैशन इस्तेमाल किया। इस फिल्म को देखने के बाद अमेरिका के टीन एजर्स और यूथ में जीन्स का ट्रेंड काफी पॉप्युलर हो गया। इसकी लोकप्रियता कम करने के लिए अमेरिका में रेस्तरां, थियेटर्स और स्कूल में जीन्स पहनकर जाने पर बैन भी लगा दिया गया, फिर भी जीन्स का फैशन यूथ के सिर पर ऐसा चढ़ा की फिर उतरा ही नहीं।
धीरे-धीरे जीन्स की लोकप्रियता बढ़ने लगी और 1970 में इसे फैशन के तौर पर स्वीकार कर लिया गया।
कैसे पड़ा नाम जीन्स ?
इसका अविष्कार 19 वीं सदी में फ्रांस के शहर NIMES में हुआ था, जिस कपडे से जीन्स बनी है उसे फ्रेंच में “Serge” कहते हैं और इसका नाम पड़ा गया “Serge de Nimes” फिर लोगो ने इसको शोर्ट कर दिया और ये हो गई Denims धीरे धीरे डेनिम्स पूरे यूरोप में पॉपुलर हो गई। जीन्स को सबसे ज्यादा नाविक लोग पसंद करते थे इन्होने सेलर्स को सम्मान देने के लिए एक निकनेम दिया। जो था जीन्स।
पहली जीन्स नीले रंग में ही बनाई गई थी, शुरू में जीन्स मजदूरों और मेहनती लोगो द्वारा ही पहनी जाती थी इनके कपडे जल्दी गंदे हो जाते थे कपडे गंदे होने पर भी गंदे न दिखे इसलिए इनका रंग नीला रखा गया।
YKK क्यूँ लिखा होता जीन्स की चैन पर है?
जीन्स की चैन पर अधिकतर YKK लिखा होता है “Yoshida Kogyo Kabushikikaisha” इसका मतलब है ये एक जापानी कंपनी है जो दुनियाभर के ज्यादातर जीन्स ब्रांड्स के लिए चैन बनती है।
जीन्स में छोटी जेब क्यों होती है?
जीन्स के इतिहास से लेकर अब तक इस छोटी सी पॉकेट के बारे में शायद ही आपको पता हो। ये छोटी सी जेब घडी रखने के लिए जीन्स में लगाई गयी थी, पहले के लोग पॉकेट वाच रखते थे। पॉपुलर जीन्स ब्रांड Levi’s ने इस बात की पुष्टि की है कि यह जेब पॉकेट वाच के लिए बनाई गई थी ये जेब 1879 में बनाई गई जीन्स में भी थी।
जीन्स में मेटल बटन का इस्तेमाल क्यो होता है ?
जितना पुराना जीन्स का इतिहास है उतना ही पुराना इसमें लगे इन बटन्स का भी है। यह बटन सिर्फ फैशन के लिए नहीं लगाये गए थे बल्कि जीन्स को फटने से बचाने के लिए लगाये गए थे। जैसा की आप जान चुकें हैं कि जीन्स पहले मजदूर लोग पहना करते थे। इनके मेहनत भरे काम की वजह से इनकी जेबे जल्दी फट जाया करती थी। इसीलिए जेबों पर मेटल के बटन लगाये गए, ये बटन सबसे पहले अमेरिका के Jacob Davis नाम के दर्जी ने ही लगाए थे।
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