कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शनिवार को शुरुआत हो गई है। महामारी से निपटने में हुए अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए मोदी सरकार सेस लगाने की संभावना पर विचार कर रही है। एक फरवरी 2021 को सुबह 11 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करेंगी।
ऐसा माना जा रहा है कि वैक्सीन के खर्च की भरपाई के लिए सरकार आम बजट में वैक्सीन सेस लगा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि महामारी की वजह से सरकार का रेवेन्यू बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और डिफेंस जैसे महत्वपूर्ण सेक्ट्स में अधिक फंड्स के आवंटन की मांग उठ रही है।
आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए सरकार पर इंफ्रास्ट्रक्चर और ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों पर अधिक खर्च करने का भी दबाव है। इससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ेगा। वैक्सीन का खर्च पीएम केयर्स फंड उठाएगा।
दरअसल लॉकडाउन के दौरान टैक्स अधिकारियों ने सुझाव दिया था कि टैक्स डेफिसिट की भरपाई के लिए सरकार आय पर सेस या सरचार्ज लगा सकती है। मालूम हो कि सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इसके साथ ही राज्यों ने भी शराब पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी।
अब आर्थिक गतिविधि को पटरी पर लाने के लिए सरकार का एक वर्ग और टैक्स कंसल्टेंट वैक्सीन के नाम पर टैक्स लगाने के पक्ष में हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक जानीमानी फर्म के एक कंसल्टेंट ने कहा था कि आय पर एक से दो फीसदी सेस से कोई असर नहीं पड़ेगा। पहले भी सरकार हेल्थ सेस लगा चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक देश में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान पर 60,000 करोड़ रुपये से 65,000 करोड़ रुपये खर्च हो सकता है।
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