टीसीएस का एआई में बड़ा दांव: $6 अरब के डेटा सेंटर में निवेश, विश्लेषकों ने उठाए सवाल

भारत की आईटी दिग्गज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अपना अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। कंपनी ने एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में $6 अरब के भारी-भरकम निवेश की घोषणा की है, जो उसके पारंपरिक सर्विस-आधारित मॉडल से हटकर एक बड़ा रणनीतिक बदलाव है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारतीय आईटी कंपनियों पर एआई की क्रांति में पीछे रह जाने के आरोप लग रहे थे। इस घोषणा के साथ, टीसीएस ने दुनिया की सबसे बड़ी एआई-संचालित प्रौद्योगिकी सेवा कंपनी बनने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है।

परियोजना की रूपरेखा

टीसीएस की योजना अगले पांच से सात वर्षों में भारत में 1 गीगावाट (GW) क्षमता तक का एक सॉवरेन, को-लोकेशन एआई डेटा सेंटर बनाने की है, जिसे एक नई सहायक कंपनी के माध्यम से संचालित किया जाएगा। को-लोकेशन मॉडल के तहत, टीसीएस केवल निष्क्रिय बुनियादी ढांचा (passive infrastructure) प्रदान करेगी, जबकि ग्राहक अपने कंप्यूट और स्टोरेज उपकरण लाएंगे। कंपनी के अनुसार, प्रति 150 मेगावाट क्षमता पर लगभग $1 अरब का पूंजीगत व्यय होने की उम्मीद है। इस परियोजना के लिए फंडिंग इक्विटी और ऋण के मिश्रण से की जाएगी, जिसमें वित्तीय भागीदार भी सहयोग करेंगे।

भविष्य के बाजार पर नजर

टीसीएस प्रबंधन का कहना है कि परियोजना का पहला चरण 18 से 24 महीनों में चालू हो जाएगा। शुरुआती ग्राहकों में हाइपरस्केलर्स, डीप-टेक एआई फर्में, भारतीय उद्यम और सरकारी परियोजनाएं शामिल होंगी। कंपनी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की वर्तमान डेटा सेंटर क्षमता लगभग 1.2 गीगावाट है, लेकिन अगले पांच से छह वर्षों में मांग लगभग 10 गुना बढ़ सकती है। इस विशाल अवसर को देखते हुए टीसीएस का यह कदम भविष्य के लिए एक बड़ी तैयारी है। यह पहल सरकार के उस अभियान के भी अनुरूप है, जिसके तहत भारतीय उपयोगकर्ताओं का डेटा देश के भीतर ही संग्रहीत करने पर जोर दिया जा रहा है।

विश्लेषकों की चिंताएं और मिली-जुली प्रतिक्रिया

हालांकि, टीसीएस के इस সাহসী कदम पर दलाल स्ट्रीट और बाजार के विश्लेषक पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं। इस घोषणा के बाद शुक्रवार को टीसीएस के शेयरों में 1.5% तक की गिरावट देखी गई। कई विश्लेषकों ने इस पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।

जेफरीज (Jefferies) के विश्लेषक अक्षत अग्रवाल ने इस कदम को तीन कारणों से आश्चर्यजनक बताया। पहला, इससे टीसीएस की विकास दर पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। दूसरा, यह एक फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग का व्यवसाय है, जिसका टीसीएस के मौजूदा आईटी सेवा व्यवसाय से कोई सीधा संबंध नहीं है। तीसरा, यह एक भारी पूंजी-निवेश वाला और कम रिटर्न (8-12% ROCE) वाला बिजनेस है, जो टीसीएस के मौजूदा बिजनेस मॉडल के बिल्कुल विपरीत है।

वित्तीय अनुशासन की परीक्षा

अन्य ब्रोकरेज फर्मों ने भी ऐसी ही चिंताएं जताई हैं। फिलिपकैपिटल (PhillipCapital) के अनुसार, यह योजना टीसीएस के रिटर्न रेशियो को प्रभावित कर सकती है क्योंकि कंपनी कम पूंजी-निवेश वाले मॉडल से भारी पूंजी-निवेश वाले व्यवसाय की ओर बढ़ रही है। वहीं, बीओबीकैप्स (BOBCaps) ने इसे “नकारात्मक रूप से आश्चर्यजनक” कहा है, और अनुमान लगाया है कि एआई डेटा सेंटर व्यवसाय से मिलने वाला रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) कंपनी के मुख्य व्यवसाय की तुलना में बहुत कम होगा। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि इस तरह के बड़े निवेश से शेयरधारकों को दिए जाने वाले डिविडेंड और अन्य भुगतानों के लिए उपलब्ध फ्री कैश फ्लो में कमी आ सकती है, जो कंपनी के मूल्यांकन को प्रभावित कर सकता है। कुल मिलाकर, यह $6 अरब का सवाल बना हुआ है कि क्या यह साहसिक छलांग टीसीएस की विकास की कहानी को नई परिभाषा देगी या उसके मजबूत वित्तीय अनुशासन की परीक्षा लेगी।