छोटे कर्जदारों के लिए गोल्ड लोन नियमों में राहत के संकेत

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने संकेत दिया है कि वह प्रस्तावित गोल्ड लोन ढांचे में कुछ अहम नियमों को आसान बनाने जा रहा है। इसमें लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात को बढ़ाना और छोटे कर्जदारों को क्रेडिट मूल्यांकन से छूट देना शामिल है। यह निर्णय गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs), सहकारी बैंकों और सरकारी विभागों की ओर से मिले सुझावों के आधार पर लिया गया है। यह जानकारी शुक्रवार को आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दी।

आरबीआई के इस कदम का उद्देश्य ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में औपचारिक क्रेडिट की पहुंच बढ़ाना है। नए नियमों के तहत ₹2.5 लाख तक के गोल्ड लोन को क्रेडिट मूल्यांकन से छूट दी जाएगी। इसके साथ ही छोटे कर्जों के लिए LTV सीमा को 75% से बढ़ाकर 85% कर दिया जाएगा। इसके अलावा, जिनके पास सोने की खरीद से संबंधित बिल नहीं हैं, उन्हें स्वप्रमाणन के आधार पर स्वामित्व की घोषणा करने की अनुमति दी जाएगी।

आरबीआई का यह संशोधन अप्रैल 2025 में जारी मसौदे के बाद सामने आया है, जिसमें कड़े नियमों के चलते यह आशंका जताई गई थी कि औपचारिक बैंकिंग क्षेत्र से क्रेडिट का प्रवाह बाधित हो सकता है और लोग फिर से अनौपचारिक उधारदाताओं की ओर रुख कर सकते हैं।

गवर्नर मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि अंतिम दिशानिर्देशों में उद्योग से मिले फीडबैक को समाहित किया जाएगा और यह ज्यादा विस्तृत और व्यावहारिक होंगे। उन्होंने यह भी दोहराया कि अंतिम रूप से कोई भी नीति तब तक लागू नहीं की जाएगी, जब तक सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श नहीं कर लिया जाता और इसके व्यापक प्रभावों का मूल्यांकन नहीं किया जाता।

मसौदा जारी होने के बाद कई ऋणदाता, विशेष रूप से सहकारी बैंक और छोटे NBFCs, ने कुछ व्यावसायिक चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाया है। प्रमुख चिंताओं में विरासत में प्राप्त या बिना दस्तावेजों वाले सोने का मूल्यांकन और ₹2 लाख से कम के कर्ज—खासकर कृषि ऋण—के लिए कठोर मूल्यांकन की व्यवहार्यता शामिल थी।

आरबीआई के इस फैसले से उम्मीद है कि अधिक लोगों को औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने में मदद मिलेगी, खासकर उन लोगों को जो अब तक कड़े नियमों और दस्तावेजों की कमी के कारण बैंकिंग सेवाओं से दूर रहे हैं।