गैर-लौह धातु क्षेत्र की दिग्गज कंपनी, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, हाल ही में अपने वित्तीय प्रदर्शन को लेकर चर्चा में है। कंपनी के नवीनतम तिमाही नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे हैं, जिससे बिक्री और मुनाफे दोनों में गिरावट दर्ज की गई है। इस वित्तीय दबाव का असर कंपनी के शेयर प्रदर्शन पर भी देखने को मिल रहा है।
कमजोर तिमाही प्रदर्शन
30 जून, 2025 को समाप्त हुई वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के आंकड़े कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं। कंपनी ने इस तिमाही में ₹8050.00 करोड़ की समेकित बिक्री दर्ज की है। यह पिछली तिमाही (₹9314.00 करोड़) की तुलना में 13.57% कम है और पिछले साल की इसी तिमाही (₹8398.00 करोड़) के मुकाबले 4.14% की गिरावट को दर्शाता है।
इस दौरान, कंपनी का टैक्स चुकाने के बाद शुद्ध मुनाफा (PAT) ₹2234.00 करोड़ रहा, जो पिछली चार तिमाहियों के औसत की तुलना में 14.2% कम है। इसके अलावा, कंपनी का PBDIT (ब्याज, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमॉर्टाइजेशन से पहले का लाभ) भी घटकर ₹3,859.00 करोड़ पर आ गया है, जो हाल की तिमाहियों में सबसे निचला स्तर है।
शेयर बाजार का प्रदर्शन और मूल्यांकन
कंपनी के वित्तीय आंकड़ों का असर उसके शेयर मूल्य पर भी दिखाई दे रहा है। पिछले एक साल में, स्टॉक ने -7.63% का नकारात्मक रिटर्न दिया है। हालांकि, इसी अवधि में कंपनी के मुनाफे में 26.6% की वृद्धि भी देखी गई है, जो एक मिश्रित तस्वीर पेश करती है।
लंबी अवधि के दृष्टिकोण से देखें तो पिछले पांच वर्षों में कंपनी के परिचालन लाभ में सालाना -2.83% की कमी आई है, जो भविष्य के विकास को लेकर कुछ चिंताएं पैदा करती है। इसके बावजूद, कंपनी का रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) 91.9 के उच्च स्तर पर बना हुआ है, जो दर्शाता है कि कंपनी अपनी पूंजी का कुशलता से उपयोग कर रही है।
बाजार की स्थिति और भविष्य की चिंताएं
हिंदुस्तान जिंक अपने क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है, जिसका बाजार पूंजीकरण ₹2,03,851 करोड़ है और यह उद्योग में 46.48% की हिस्सेदारी रखती है। हालांकि, एक चिंता का विषय यह है कि प्रमोटरों के 92.26% शेयर गिरवी रखे हुए हैं। बाजार में गिरावट की स्थिति में यह गिरवी रखे गए शेयर स्टॉक की कीमतों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं। कंपनी की स्थापना 1966 में हुई थी और यह मेटल-नॉन फेरस क्षेत्र में एक लार्ज-कैप कंपनी के रूप में स्थापित है।