भारत में दिखेगा 2025 का पूर्ण चंद्र ग्रहण, जानिए ‘ब्लड मून’ का समय और पूरी जानकारी

लगभग तीन वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, भारत एक बार फिर एक अद्भुत खगोलीय घटना, पूर्ण चंद्र ग्रहण, का गवाह बनने जा रहा है। यह रोमांचक दृश्य 7-8 सितंबर, 2025 की रात को दिखाई देगा, जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह से ढक जाएगा और एक गहरे लाल रंग में बदल जाएगा, जिसे ‘ब्लड मून’ भी कहा जाता है। यह एक दुर्लभ अवसर है, क्योंकि अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 2026 से पहले देखने को नहीं मिलेगा।

क्या होता है चंद्र ग्रहण?

चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच एक सीधी रेखा में आ जाती है। इस स्थिति में, पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को सीधे चंद्रमा तक पहुंचने से रोक देती है, और पूर्णिमा के चाँद पर पृथ्वी की पूर्ण या आंशिक छाया पड़ती है। जब चंद्रमा पृथ्वी की सबसे गहरी छाया (Umbra) से होकर गुजरता है, तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

‘ब्लड मून’ का रहस्य और उसका लाल रंग

पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग गहरा लाल या तांबे जैसा हो जाता है, जिसे ‘ब्लड मून’ कहते हैं। यह कोई अशुभ संकेत नहीं, बल्कि प्रकाश के बिखरने (scattering) का एक सुंदर परिणाम है। जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरता है, तो हमारा वायुमंडल नीले रंग के प्रकाश को बिखेर देता है, लेकिन लंबे तरंग दैर्ध्य (wavelength) वाले लाल और नारंगी रंग के प्रकाश को गुजरने देता है। यही लाल प्रकाश पृथ्वी की छाया से होकर चंद्रमा की सतह पर पड़ता है, जिससे वह हमें लाल रंग का दिखाई देता है।

भारत में ग्रहण का समय और दृश्यता

प्रसिद्ध खगोल भौतिकीविद् देबीप्रसाद दुआरी के अनुसार, भारत में ग्रहण की प्रक्रिया 7 सितंबर की रात लगभग 9 बजे से शुरू हो जाएगी, जब चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया (Penumbra) में प्रवेश करेगा। हालाँकि, इस समय चंद्रमा की चमक में मामूली कमी आएगी जो नग्न आंखों से शायद ही दिखे।

रात 9:57 बजे से आंशिक ग्रहण स्पष्ट रूप से दिखने लगेगा और रात 11 बजे तक चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ जाएगा, जिससे पूर्ण ग्रहण की शुरुआत होगी। पूर्ण ग्रहण की यह अवस्था लगभग 1 घंटे 22 मिनट तक चलेगी और रात 12:22 बजे समाप्त होगी। इसके बाद, चंद्रमा धीरे-धीरे छाया से बाहर निकलना शुरू करेगा और 8 सितंबर की सुबह 1:26 बजे तक यह ग्रहण पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और चंद्रमा अपनी सामान्य चांदनी बिखेरने लगेगा।

एक वैश्विक खगोलीय घटना

यह चंद्र ग्रहण केवल भारत तक ही सीमित नहीं रहेगा। यह एशिया, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका और यूरोप के कई हिस्सों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। दुनिया भर के खगोल प्रेमी और आम लोग इस शानदार दृश्य को देखने के लिए उत्साहित हैं।

क्या भारत में ‘ब्लड मून’ का रंग गहरा लाल दिखेगा?

इस पर देबीप्रसाद दुआरी ने एक महत्वपूर्ण बात बताई है। उनके अनुसार, भारत में ग्रहण के चरम पर होने के समय चंद्रमा आकाश में काफी ऊंचाई पर होगा, यानी क्षितिज (horizon) के पास नहीं होगा। जब चंद्रमा क्षितिज के पास होता है, तो उसके प्रकाश को पृथ्वी के वायुमंडल की एक मोटी परत से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे लाल रंग और भी गहरा दिखाई देता है। चूँकि भारत में चंद्रमा सिर के ऊपर होगा, इसलिए यहाँ ‘ब्लड मून’ का गहरा लाल रंग उतना स्पष्ट नहीं दिख सकता है, जितना कि दुनिया के उन हिस्सों में दिखेगा जहाँ ग्रहण के समय चंद्रमा उग रहा होगा या अस्त हो रहा होगा। फिर भी, यह एक अविस्मरणीय दृश्य होगा।