आईआईटी पलक्कड़ में इंसानों की ‘लाइब्रेरी’: किताबों की जगह मिलेंगे ज़िंदादिल अनुभव

एक अनोखी पहल की शुरुआत

केरल के पलक्कड़ स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT Palakkad) ने राज्य की पहली ह्यूमन लाइब्रेरी की शुरुआत की है। इस अनूठी पहल में किताबों की जगह इंसानों को ‘लिविंग बुक्स’ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जहां वे अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं। इसका उद्देश्य समाज में मौजूद पूर्वाग्रहों को तोड़ना और सहानुभूति की भावना को बढ़ावा देना है।

ह्यूमन लाइब्रेरी की वैश्विक प्रेरणा

यह विचार ‘ह्यूमन लाइब्रेरी मूवमेंट’ से प्रेरित है, जिसकी शुरुआत डेनमार्क में हुई थी और अब यह दुनियाभर में फैल चुका है। इस आंदोलन का मकसद है कि लोग दूसरों की ज़ुबानी उनकी कहानियाँ सुनें और समाज में मौजूद सामाजिक, सांस्कृतिक व मानसिक बाधाओं को समझें।

पन्ने नहीं, लोग हैं यहां की कहानियाँ

आईआईटी पलक्कड़ के एक सहायक प्रोफेसर के अनुसार, यह ह्यूमन लाइब्रेरी ऐसी जगह है जहाँ लोग खुद ‘किताब’ बन जाते हैं। वे अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं—कभी संघर्ष की कहानियाँ, कभी प्रेरणा की मिसालें। इस प्रक्रिया में ‘रीडर’ यानी श्रोता उनसे सीधे संवाद करते हैं, सवाल पूछते हैं और एक सच्चे मानवीय जुड़ाव का अनुभव करते हैं।

विविधता में एकता की झलक

इस परियोजना में भाग लेने वाले लोग अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आते हैं—कोई मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जूझ चुका है, कोई जाति या लिंग भेदभाव का शिकार रहा है, तो कोई समाज से बाहर किए गए समूहों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे अनुभवों को सुनकर प्रतिभागियों को न सिर्फ समझ विकसित होती है, बल्कि समाज को देखने का नजरिया भी बदलता है।

छात्रों और समाज दोनों के लिए फायदेमंद

आईआईटी पलक्कड़ का यह प्रयास सिर्फ एक शैक्षणिक प्रयोग नहीं, बल्कि एक सामाजिक संवाद की शुरुआत है। इससे छात्रों को वास्तविक जीवन की जटिलताओं को समझने का अवसर मिलता है, और समाज के विभिन्न पहलुओं को लेकर उनकी संवेदनशीलता बढ़ती है।