अमेरिका के नए टैरिफ संकेतों के बीच भारत के लिए खुल सकती हैं नई संभावनाएं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सप्ताहांत की शुरुआत में की गई टैरिफ छूट की घोषणा को अस्थायी करार दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर साझा किए गए एक पोस्ट में ट्रंप ने पुष्टि की कि अमेरिका “आगामी राष्ट्रीय सुरक्षा टैरिफ जांचों” में सेमीकंडक्टर्स और संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला की समीक्षा करने जा रहा है।

यह जांच संभवतः अगले सप्ताह से ही शुरू हो सकती है। हालांकि फिलहाल, चीन से आयातित सेमीकंडक्टर्स, कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर 20% टैरिफ लागू रहेगा — जबकि इन वस्तुओं पर मूलभूत दर 10% है। वहीं, अन्य चीनी उत्पादों पर 145% तक का भारी शुल्क लागू रहेगा।

इस कदम को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के तहत देखा जा रहा है, जहां तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। खासकर सेमीकंडक्टर्स जैसे संवेदनशील तकनीकी घटकों को लेकर अमेरिका का झुकाव घरेलू उत्पादन बढ़ाने और भरोसेमंद साझेदारों से आपूर्ति सुनिश्चित करने की ओर है।

भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर बन सकता है। चीन पर बढ़ते प्रतिबंधों के बीच, वैश्विक कंपनियां वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत तलाश रही हैं। भारत, जो पहले ही इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को लेकर सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘पीएलआई’ योजनाओं के तहत आकर्षक विकल्प बन रहा है, इस नए परिदृश्य से लाभ उठा सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अमेरिका चीन से सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स के आयात पर सख्ती करता है, तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में पुनर्गठन अपरिहार्य हो जाएगा। ऐसे में भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश और उत्पादन बढ़ने की पूरी संभावना है।

हालांकि, भारत को इस मौके का फायदा उठाने के लिए अपनी विनिर्माण क्षमताओं को और मज़बूत करना होगा। सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञता, उच्च गुणवत्ता वाली अवसंरचना और कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता है। सरकार द्वारा घोषित ‘सेमीकंडक्टर मिशन’ इस दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन उसे गति और विस्तार देने की ज़रूरत है।

अमेरिका के इस संभावित टैरिफ बदलाव का असर न केवल वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा, बल्कि तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला की राजनीति को भी नया मोड़ देगा। भारत, यदि रणनीतिक दृष्टिकोण से तैयारी करता है, तो न केवल चीन के विकल्प के रूप में उभर सकता है, बल्कि खुद को एक वैश्विक तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित भी कर सकता है।

संक्षेप में, अमेरिका की टैरिफ नीति में संभावित बदलाव भारत के लिए एक बड़ी रणनीतिक खिड़की खोल सकते हैं — बशर्ते वह समय पर और निर्णायक कदम उठाए।