नई दिल्ली, 19 अप्रैल | आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड प्रांत में स्थित गोल्ड कोस्ट में हाल ही में समाप्त 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में मुक्केबाजी की 91प्लस किलोग्रम भारवर्ग स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले भारतीय मुक्केबाज सतीश कुमार यादव का मानना है कि ओलम्पिक एवं राष्ट्रमंडल खेलों में जजों के निर्णयों में सुधार की आवश्यकता है।
सतीश को एक कड़े फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के फ्रेजर क्लार्क के खिलाफ 0-5 से हार झेलनी पड़ी थी। सभी जजों ने उनके खिलाफ निर्णय दिया था। मुकाबला समाप्त होने के बाद सतीश खुद को विजेता मान रहे थे लेकिन जब क्लार्क के पक्ष में निर्णय आया तो वह हैरान रह गए।
आईएएनएस से साक्षात्कार में सतीश कुमार ने कहा, “केवल मैं ही नहीं रिंग के आसपास मौजूद दर्शक और मेरे कोच भी इस निर्णय से हैरान थे। इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया या अन्य यूरोपीय देशों के अधिकारी बड़े टूर्नामेंट के दौरान एक-दूसरे का समर्थन करते हैं, जिसके कारण कड़े मुकाबलों में निर्णय हमारे पक्ष में नहीं जाते। मैं जजों के निर्णय से खुश नहीं हूं क्योंकि फाइनल में अच्छी मुक्केबाजी करने बाद भी मेरे पक्ष में निर्णय नहीं आया और मुझे रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा।”
सतीश ने कहा, “भारतीय मुक्केबाज बहुत शक्तिशाली हैं लेकिन कभी-कभी बड़े टूर्नामेंट में हमारे खिलाफ गलत निर्णय दिए जाते हैं। अगर बड़े टूर्नामेंट में अच्छे जजों का इस्तेमाल किया जाए और हमारे खिलाफ गलत निर्णय नहीं दिए जाए तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मुक्केबाजों का बोलबाला देखने को मिलेगा। जजों में सुधार करने के लिए उन्हें खेल के बारे में अधिक शिक्षित करने की आवश्यकता है।”
सतीश ने कहा कि मुक्केबाजी में पहले जिस स्कोरिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता था, उसमे अधिक पारदर्शिता थी। अभी जो सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमे पारदर्शिता की कमी है और यही कारण है कि कभी-कभी अच्छे प्रदर्शन के बाद भी निर्णय आपके खिलाफ आता है।
सेना में जाने के बाद सतीश कुमार ने मुक्केबाजी करना शुरू किया और अपने पहली राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक जीतने के बाद उनका लक्ष्य एशियाई खेलों एक ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतना है। हालांकि, 28 वर्षीय सतीश ने यह भी माना कि उन्हें अपने करियर में मुक्केबाजी देर से शुरू की।
उन्होंने कहा, “मुझे इसका मलाल तो रहेगा कि मैं मुक्केबाजी में देरी से आया। एक युवा मुक्केबाज के तौर पर आप खेल की बारीकियां जल्द सीख लेते हैं और अगर आपकी नींव अच्छी होगी तो आप महान मुक्केबाज बनेंगे।”
सतीश ने कहा कि भले ही उन्हानें मुक्केबाजी देरी से शुरू की लेकिन उनके अंदर अभी भी ओलम्पिक में पदक जीतने का दम है और लगातर टूर्नामेंट में खेलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, जिसका फायदा उन्हें एशियाई एवं ओलम्पिक खेलों में मिलेगा।
सतीश ने कहा, “गोल्ड कोस्ट में किए गए प्रदर्शन से मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा है। सुपर हैवीवेट स्पर्धा में आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और आयरलैंड के मुक्केबाज बहुत शक्तिशाली है और मुझे उनके खिलाफ खेलकर मैं काफी कुछ सीखा हूं, जिसका मुझे आने वाले टूर्नामेंट में फायदा मिलेगा।”
इस वर्ष 18वें एशियाई खेलों का आयोजन 18 अगस्त से दो सितंबर के बीच इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में होना है। भारतीय मुक्केबाज एशियाई खेलों के लिए विशेष तैयार हेतु अमेरिका दौरे पर जाएंगे, जहां वे माइकल जानसन अकादमी में 15 दिनों की ट्रेनिंग करेंगे।
–आईएएनएस